Sunday, October 7, 2018

1400 साल पहले पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद ﷺ जानते थे कि लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करेंगे और कुछ लोग इसका गलत भी इस्तेमाल करेंगे। 
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने 1400 साल पहले ही अपने नबी को ख्वाब के ज़रिए बता दिया था कि एक ऐसा वक्त आएगा कि जब ऑनलाइन सोशल नेटवर्क होगा और कुछ लोग होंगे जो इसका इस्तेमाल गलत तरीके से करेंगे। उस वक्त शायद सहाबा नही समझ सके होंगे कि जो नबी ने बताया है वो कैसे पॉसिबल होगा लेकिन वो यकीन रखते थे अल्लाह और उसके रसूल पर। नीचे जो हदीस मैंने लिखी है उसके एक हिस्से से में आप को समझाता हूँ कि कैसे ये बात साबित होती है। 
इस हदीस में नबी ए पाक अपने सहाबा को अपना एक ख्वाब बयान फरमाते हैं जिसके एक हिस्से में आसमानी सफर में गुज़रते हुए को एक शख्स को देखते हैं जिसके जबड़े, नथुने और आंख को गुद्दी तक चीरा जा रहा था, यह वह है जो सुबह घर से निकलकर झूट बोलता है और वो झूठ दुनिया में फैल जाता है। दोस्तों ये ही वो निशानी है जिस से ये बात साबित होती है। आज के दौर में लाखों, करोड़ो लोग यूट्यूब, फेसबुक ओर दूसरे सोशल नेटवर्क प्लेटफार्म पर अपने लाइक बढ़ाने के लिए, पैसे कमाने के लिए हर रोज़ झूटे ओर फ़र्ज़ी वीडियो बनाकर डालते हैं और ये झूटे फ़र्ज़ी वीडियो एक ही दिन में सारी दुनिया मे फेल जाते हैं, जिनके व्यूज करोड़ो अरबो में होते हैं एक तरीके से ये वो झूट है जो बहुत जल्द सारी दुनिया मे फेल गया। दोस्तो नबी ए पाक के दौर में सेकड़ो सालो तक ये पॉसिबल नही था कि सुबह कोई शख्स झूट बोले ओर वो झूट सारी दुनिया मे फेल जाए। अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने उस वक्त ही नबी ए पाक को इस दौर की बात बता दी थी। इसलिए हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि हमारा शुमार उन लोगो मे ना हो जिन्हें इस तरह की दर्दनाक सज़ा दी जा रही थी। हमे इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि किसी भी वीडियो या मैसेज को जब तक आप तस्दीक ना करले या करवाले तब तक शेयर ना करें और ऐसा करने वाले लोगो से परहेज़ करें। अल्लाह पाक आप को ओर हम सब को अमल की तौफीक अता फरमाये। नीचे पूरी हदीस है एक बार जरूर पढ़ें। जज़ाकुमुल्लाह। 
बात समझ मे आई हो तो like ज़रूर करें और अगर मुझ से कोई गलती हुई हो तो अपनी राय पेश करें। 

हज़रत समुरा बिन जुंदुब (रज़ि) फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह अक्सर अपने सहाबा से फरमाते थे की तुम में से किसी ने कोई ख्वाब देखा है ? जो कोई ख्वाब बयान करता तो आप उसकी ताबीर इर्शाद फरमाते। एक सुबह रसूलुल्लाह ने इर्शाद फरमाया की रात को मैंने ख्वाब देखा है कि दो फरिश्ते मेरे पास आए और मुझे उठाकर कहा, हमारे साथ चलिए। में उनके साथ चल दिया। एक शख्स पर हमारा गुज़र हुआ जो लेटा हुआ है और दूसरा उसके पास पत्थर उठाए हुए खड़ा है और वह लेटे हुए शख्स के सर पर ज़ोर से पत्थर मारता है जिसकी वजह सर कुचल जाता है और पत्थर लुढक कर दूसरी और चला जाता है। दूसरा शख्स जाकर पत्थर उठाकर लाता है उसके वापस आने से पहले पहले शख्स का सर फिर से पहले जैसा सही सलामत हो जाता है और ये सबकुछ बार होता है। मैंने उन दोनों से ताज्जुब से कहा, सुब्हानलल्लाह ये दोनों शख्स कौन हैं? (और ये क्या मामला हो रहा है) उन्होंने कहा आगे चलिए। हम आगे चले, हमारा गुज़र एक शख्स पर हुआ जो चित लेटा हुआ है और एक शख्स उसके पास ज़ंबुर (लोहे की कीलें निकालने वाला आला) लिए खड़ा है, जो लेटे हुए शख्स के चेहरे के एक जानिब आकर उसका जबड़ा, नथुना और आंख गुद्दी तक चीरता चला जाता है फिर दूसरी जानिब भी उसी तरह करता है, अभी यह दूसरी जानिब से फारिग भी नही होता कि पहली जानिब बिल्कुल सही हो जाती है। और वह उसी तरह करता रहता है। मैंने उन दोनों से कहा सुब्हानलल्लाह ये दोनों शख्स कौन हैं? उन्होंने कहा चलिए, आगे चलिए। हम आगे चले तो एक तन्नूर के पास पहुंचे, जिसमे बड़ा शोर व गुल हो रहा है। हमने उसमे झांक कर देखा तो उसमें बहुत से मर्द ओर औरत नंगे हैं, उनके नीचे से एक आग का शोला आता है, जब वह उनको अपनी लपट में ले लेता है तो वो चीखने लगते हैं। मैंने उन दोनों से पूछा, ये कौन लोग हैं ? उन्होंने कहा चलिए आगे चलिए। हम आगे चले, एक नहर पर पहुंचे जो खून की तरह सुर्ख थी और उसमें एक शख्स तैर रहा था और नहर के किनारे दूसरा शख्स था जिसने बहुत से पत्थर जमा कर रखे थे, जब तैरने वाला शख्स तैरते हुए उसके नज़दीक आता तो जिसने पत्थर जमा किये हुए हैं, तो ये शख्स अपना मुँह खोल देता किनारे वाला शख्स उसके मुँह में पत्थर डाल देता जिसकी वजह से वह दूर चला जाता है, और ये सिलसिला चलता रहता है। मैंने उन दोनों से पूछा, ये कौन लोग हैं ? उन्होंने कहा चलिए आगे चलिए। हम आगे चले तो बदसूरत आदमी तुमने देखे होंगे उन सबसे ज़्यादा बदसूरत आदमी के पास से हम गुज़रे, जिसके पास आग जल रही थी जिसको वह भड़का रहा था और उसके चारों तरफ दौड़ रहा था। मैंने उनसे पूछा ये शख्स कौन है ? उन्होंने कहा आगे चलिए। फिर हम एक ऐसे बाग मैं पहुंचे जो हरा भरा था और उसमें मौसमे बहार के तमाम फूल थे। उस बाग के दर्मियान एक बहुत लम्बे साहब नज़र आये। उनके बहुत ज़्यादा लम्बे होने की वजह से मेरे लिए उनके सर को देखना मुश्किल था, उनके चारों तरफ बहुत सारे बच्चे थे। इतने ज़्यादा बच्चे मैंने कभी नही देखे। मैंने पूछा यह कौन हैं और ये बच्चे कौन हैं। उन्होंने कहा चलिए आगे चलिए। हम आगे चले और एक बड़े बाग में पहुंचे, मैंने इतना बड़ा खूबसूरत बाग कभी नही देखा। उन्होंने कहा इसके ऊपर चढ़िए। हम उस पर चढ़े और ऐसे शहर के करीब पहुंचे जो इस तरह बना हुआ था कि उसकी एक ईंट सोने की थी और एक ईंट चांदी की थी। हम शहर के दरवाजे के पास पहुंचे और उसे खुलवाया। वह हमारे लिए खोल दिया गया। हम उसमे ऐसे लोगों से मिले जिन के जिस्म का आधा हिस्सा इतना खूबसूरत था कि तुम ने इतना खूबसूरत न देझा होगा और आधा हिस्सा इतना बदसूरत था कि इतना बदसूरत  तुमने ना देखा होगा। उन दोनों फ़रिशतो ने उन लोगों से कहा जाओ उस नहर मैं कूद जाओ। मैने देखा सामने एक चौडी नहर बाह रही है जिसका पानी दूध जैसा सफेद है। वे लोग उसमेँ कूद गए फिर जब वो हमारे पास वापस आए तो उनकी बदसूरती खत्म हो चुकी थी, और वो बहुत खूबसूरत हो चुके थे। दोनों फरिश्तों ने मुझसे कहा, ये जन्नते अदन है और यह आपका घर है। मेरी नज़र ऊपर उठी, तो मैंने सफेद बादल की तरह एक महल देखा उन्होंने कहा यही आप का घर है। मैंने उनसे कहा बारकल्लाह फ़ीकुमा (अल्लाह तुम दोनों में बरकत दे) मुझे छोड़ो, में उसके अंदर जाऊं। उन्होंने कहा अभी नही लेकिन बाद में तशरीफ़ लें आएंगे। 
मैंने उनसे पूछा, आज रात अजीब चीज़ें देखी, ये क्या है ? उन्होंने मुझ से कहा अब हम आप को बताते हैं। पहला शख्स जिस के पास से आप गुज़रे और उसका सर पत्थर से कुचला जा रहा था यह वो है जो क़ुरआन सीखता है और उसको छोड़ देता है (न पढ़ता है, न अमल करता है) और फ़र्ज़ नमाज़ छोड़कर सो जाता है। दूसरा वो शख्स जिस के पास से आप गुज़रे जिसके जबड़े, नथुने और आंख को गुद्दी तक चीरा जा रहा था, यह वह है जो सुबह घर से निकलकर झूट बोलता है और वो झूठ दुनिया में फैल जाता है। तीसरा वे नंगे मर्द और औरतें, जिन्हें आपने तन्नूर में जलते देखा था ज़िनाकार मर्द और औरतें हैं। चौथे वह शख्स जिसके पास से आप गुज़रे जो नहर में तैर रहा था और उसके मुँह में पत्थर डाले जा रहे थे सूदखोर है। पांचवा वह बदसूरत आदमी जो आग जला रहा था और उसके चारों तरफ दौड़ रहा था जहन्नुम का दारोगा है जिसका नाम मालिक है। छठे वह साहब जो बाग में थे हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम हैं और वो बच्चे जो उनके चारो तरफ थे, ये वो हैं जो बचपन ही में फ़ितरत (इस्लाम) पर मर गए। उस पर किसी सहाबी ने पूछा या रासूलुल्लाह मुशरिकीन के बच्चों का क्या होगा ? आप ने फरमाया मुशरिकीन के बच्चे भी वहीं थे। और वो लोग जिनका आधा जिस्म खूबसूरत और आधा जिस्म बदसूरत था, ये वह लोग हैं जिन्होंने अच्छे अमल के साथ साथ बुरे अमल किए, अल्लाह तआला ने उनके गुनाह माफ कर दिए। (बुखारी)

Wednesday, September 26, 2018

नज़र, जादू का बेजोड़ इलाज
पूरा वाकया ध्यान से पढ़े

एक साहब ओर उन की बीवी पर किसी जादूगर ने इन्तेहाई सख्त जादू का वार किया ! इस जादू पर वह बाकायदा वह पहरा भी दिया करता था की किसी आलिम को उस का तोड़ न करने देता. वह साहब फरमाते है की उन की बीवी हमल ही नहीं ठहरता और अगर ठहर भी जाए तो ख़राब हो जाता अगर किसी तरीके से 9 माह पूरे होते तो बच्चे की पैदाइश मुर्दा हालत में होती. वेसे तो ये साहब पांच वक्ता नमाज़ी और कुरान पड़ने वाले थे और मदरसे में बच्चो को कुरान की तालीम देते थे. बहुत इलाज करवाया बड़े से बड़े आलिम से इलाज करवाया एडी चोटी का जोर लगा दिया मगर कोई फायदा नहीं हुआ.
फिर एक दिन नेक और बाअमल आलिम के पास जाना हुआ. ये साहब इस्तेखारा करने के लिए मशहूर थे. ये साहब उन की खिदमत में हाज़िर हुए. मोलवी साहब ने बताया की ये किसी आम जादूगर का वार नहीं था बल्कि ये तो जादू की दुनिया का इन्तेहाई गलत और माहिर जादूगर है और ये मेरे बस का नहीं है. फिर उन साहब ने मोलवी साहब से पूछा की इस का क्या हल है मोलवी साहब ने बताया की इस का तोड़ तो उस जादूगर जैसे या फिर वो ही कर सकता है. तब उन्होंने बताया की सिंध में फलां शहर में फलां गाव में वो जादूगर खबीस उल एन रहता है तुम उस से मिलो.
ये जनाब फ़ौरन सिंध रवाना हो गए ओर जैसे ही उस गाँव के बाहर पहुंचे दूर से ही एक आग का दहकता हुआ अलाव जलता दिखाई दिया। उन्होंने उसकी तरफ बढ़ना शुरु किया। दूर से देखते हैं कि एक आदमी आग के पास बैठा हुआ है ओर आसपास उससे मिलने वालों का जमघट लगा हुआ है। अभी उसके नज़दीक भी नही आये थे कि अचानक वो शख्स उछल कर खड़ा हो गया और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा कि वो देखो आ गया जादू का डसा, वो आ गया क़ुरआन पड़ने वाला। ये साहब उसके पास पहुंचे और अपना मसला पेश किया। अब वो खबीस उल एन जादूगर खुशी से उछल पड़ा और नाचने लगा ओर कहने लगा ,"जाओ फलां के पास, जाओ फलां के पास, ये गिरह जो लगी है खुलवाओ अपने मौलवियो से"। गरज़ ये उस जादूगर ने उन साहब के साथ साथ सभी मोलवियों को भी बुरा भला कहा और जादू तोड़ने से इन्कार कर दिया। 
ये साहब वापस आये और अपने रब को पुकारा ऐ अल्लाह ये भी मख़लूक़ है तू चाहे तो क्या नही कर सकता , ये ज़ालिम मुझ पर ग़ालिब आ गए हैं और ज़ुल्म करने से बाज़ नही आ रहे हैं। उन्होंने रो धोकर अल्लाह के हज़ूर माफ़िया मांगी और तब अल्लाह पाक उनके दिल मे ख्याल डाला कि जादू का तोड़ तो अल्लाह पाक ने क़ुरआन पाक में ही बता रखा है जब नबी ए पाक पैगम्बर मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम पर जादू किया गया था तो अल्लाह पाक ने "सूरह फलक" ओर "सूरह नास" के ज़रिये उस जादू को खत्म किया था तो क्यों ना में भी इन आयतों से ही इस को खत्म करूं। 
अब इन्होंने अल्लाह का नाम लिया और उसी रात से बावज़ू होकर मस्जिद में जाकर इन आयात को पढ़ना शुरू कर दिया। ये पूरी रात पढ़ते रहे और वक़्त निकाल कर दिन में भी पढ़ते रहते। हर वक्त बावज़ू रहने लगे। गालिबन छ्टे दिन रात को ऊंघ लगी और अचानक खून की पूरी बाल्टी जैसे किसी ने उन पर गिरा दी हो ये बहुत हैरान हुए फिर जैसे तैसे उठे और अपने आप को पाक साफ किया ओर फिर घर पहुंचे वहां जाकर पता चला कि ये वाकया उनकी बीवी के साथ भी पेश आया था और वो भी बहुत घबराई हुई थी। उन्होंने बीवी को दिलासा दिया कि घबराओ नही कुछ ना कुछ तो हो ही रहा है इंशाअल्लाह अल्लाह सब बेहतर करेगा और फिर हिम्मत जुटाकर अमल में जुट गए। नवें दिन ये वाकया फिर पेश आया कि उन पर खून की बाल्टी गिरा दी गई। फिर भी हिम्मत ना तोड़ी ओर पढ़ना जारी रखा। 
तेरहवें दिन सुबह के वक़्त वही सिंध वाला जादूगर ख़बीस उल एन मस्जिद में दाखिल हुआ और आते ही पैरों में गिर कर माफियां मांगने लगा। उन साहब ने जादूगर से कहा कि तू मुझ से क्यों माफियां मांग रहा है, कहने लगा अल्लाह के वास्ते मुझे माफ़ कर दीजिए फिर बताऊंगा। इन्होंने माफकर दिया फिर वजह पूछी। कहने लगा कि आप पर ओर आप की बीवी पर जादू में ने किया था जब आप मस्जिद में अमल करने बैठे तो में भी आप के मुकाबले पर बैठ गया ओर रोज़ाना मेरा किया हुआ जादू मुझ पर उल्टा पड़ने लगा और मेरे मुवक्किल मेरे दुश्मन हो गए। ये साहब फरमाने लगे कि अगर ये बात तू ने मुझे पहले बता दी होती तो में तुझे माफ नही करता। बहरहाल जादूगर माफी मांग कर अपनी जान बचाकर वापस सिंध लौट गया क्योंकि अगर वो उसको माफ नही करते तो वो अपनी जान से हाथ धो बैठता। उन्होंने अल्लाह का शुक्रिया अदा किया और जादूगर की माफीनामे पर भरोसा ना करते हुए इकतालीस दिन मुकम्मल अमल पूरा किया और उसकी बदौलत अल्लाह ने उन्हें सेहतमंद औलाद अता फरमाई ओर हमेशा के किये जादू ओर बदनज़र से आज़ाद हो गए। 
जादू का क़ुरआनी इलाज :-
क़ुरआन पाक की आखरी दो सूरते सूरः नास ओर सूरः फ़लक़ जादू बदनज़र के इलाज में मगज़ की हैसियत रखती हैं। इन्हें सुबह-शाम 11-11 बार पड़ना चाहिए और पढ़ कर बच्चों पर दम करना चाहिए। 
इन्ही आयात के पढ़ने से हज़ूर ए अकरम सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम को जादू से शिफा मिली। 
जज़ाकुमुल्लाह। 
 
http://alseenalbasheer.blogspot.com/2017/05/surah-al-falak-surah-naas-hindi.html
 


Wednesday, September 5, 2018

अस्सलामु अलैकुम
दोस्तो क्या आप ने सूरः अलक़ पड़ी है। ज़रूर पड़ी होगी ये वो आयात है जो क़ुरआन पाक के नजूल की पहली आयात है। जिसमें अल्लाह पाक ने इंसानो को इल्म का तोहफा दिया। पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम जब हक़ीक़ी ख़ुदा की तलाश में गुफाओं में इबादत में मशगूल थे तब अल्लाह ने एक फरिश्ते के ज़रिए ये आयात उतारी। जिसने नबी से कहा (1)"इक़रा" ए नबी पड़ो उस रब के नाम से जिसने पैदा किया, (2) जिस ने इंसान को खून के लोथड़े से पैदा किया, (3) तो पड़ता रह तेरा रब बड़ा करम वाला है, (4) जिस ने कलम के ज़रिए इल्म सिखाया और इस तरह इस आयत में 19 सूरः में इसे मुकम्मिल किया गया। 
दोस्तो कितनी अच्छी बात है कि हमारे रब ने इस आयत के ज़रिए इंसानो को इल्म सिखाया ओर बताया कि अल्लाह ने क़लम के ज़रिए इल्म सिखाया। 
इससे हम ईमान वालो को इल्म का तोहफा हासिल हुआ। एक बात ये भी समझ मे आई कि इल्म की अहमियत अल्लाह के नज़दीक बहुत है वो ऐसे की अल्लाह ने अपने नबी से कहा पड़ो मतलब पड़ कर सीखो ऐसा नही की दोहराओ या जैसा फरिश्ते ने कहा वेसे कहो बल्कि कहा गया कि पड़ो। इस तरह देखा जाए तो पड़ना लिखना हर मुसलमान के लिए ज़रूरी हुआ। क़ुरआन के ज़रिए अल्लाह ने अपने बंदों को इल्म सिखाया। इस आयत में अल्लाह ने इन्सानो को बताया कि उन्हें खून के लोथड़े से बनाया गया है ये बात आज हज़ारो साल बाद साइंस साबित करती है कि खून के लोथड़े से  माँ के पेट में इंसान की पैदाइश की शुरुआत होती है। 
इस आयत में अल्लाह ने जहां पहली आयात में ये कहा कि "अल्लाह ने इंसान को पैदा किया" से दीन सीखने की तालीम दी वही दूसरी आयात में अल्लाह ने बताया कि उसने इंसानो को खून के लोथड़े से पैदा किया इस तरह दुनियावी तालीम भी दी। अल्लाह के इस कलाम से बहुत आसानी से एक समझदार इंसान अंदाज़ा लगा सकता है कि एक मुसलमान के लिए तालीम की कितनी अहमियत है। 
पर बड़े अफसोस कि बात है आज का मुसलमान तालीम से बहुत दूर होता जा रहा है ना दीन कि तालीम है ना दुनिया की, जबकि तालीम की अहमियत अल्लाह ने अपने बंदों को खूब अच्छी तरह से समझाई थी। कितना अच्छा होता कि सारी दुनिया मे हर मुसलमान चाहे वो गरीब हो या अमीर, काला हो या गोरा हर इक मुसलमान तालीम याफ्ता होता। पर हालात इसके उलट हैं जो दीन सीखता है वो दुनियावी तालीम की बुराई करता है और जो दुनियावी तालीम सीखता है वो दीन की तालीम को कम समझता है। जबकि अल्लाह ने अपने पैगाम में दोनों की अहमियत खूब से समझाई है। 
हर मुसलमान को जैसे दीन सीखना चाहिए वेसे ही दुनियावी तालीम का भी इल्म होना चाहिए। 
अल्लाह पाक हम सबको कहने सुनने के साथ साथ अमल की भी तौफीक अता फरमाये। आमीन। 

Thursday, August 30, 2018

पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम - इंसानियत के नाम पैगाम

अल्लाह ने दुनिया बनाने के बाद जब इंसान को इसमें बसाया तब पहले इंसान आदम अलैहिस्सलाम ओर माँ हव्वा अल्लाह की ही इबादत किया करते थे लेकिन इसके साथ ही ख़ुदा से बगावत कर दुनिया में आए फरिश्ते इब्लीस/शैतान ने इंसानों को एक खुदा की इबादत करने से रोकने के लिए अपनी कोशिशें शुरू कर दी! आदम अलैहिस्सलाम ओर माँ हव्वा के गुज़र जाने के बाद शैतान ने इंसान को भड़काना शुरू किया ये देखो ये सूरज है जो सबसे बड़ा है ये तुम्हे जला सकता है, ये देखो ये नदी है ये तुम्हें डुबो देगी अगर तुम इस कि पूजा नही करोगे तो, ये शेर है, ये पेड़ हैं, ये पर्वत है, ये जानवर है यहां तक कि हर वो चीज़ जो इंसान से ज़्यादा ताकत रखती हो उससे डराया के अगर तुम इस कि पूजा नही करोगे तो ये तुम्हे नष्ट कर देगा! ये पानी का देवता है, ये दौलत का देवता है, ये सुख समृद्धि का देवता है और तुम्हें इन चीज़ों को पाने के लिए इनकी पूजा करनी होगी तो ही ये आप की मदद करेंगे। और तो ओर ईश्वर भी इनमें ही निवास करता है अगर ईश्वर को पाना है तो इन की पूजा करो। इस तरह उस का मकसद ये था कि इंसान हर वस्तू को ईश्वर माने पर ईश्वर को ईश्वर ना माने। ओर इस तरह इंसान को भड़काने में शैतान कामयाब रहा। लोग पत्थर, पेड़, सूरज, चाँद तरह तरह की चीज़ों की पूजा करने लगे।
तब अल्लाह ने इंसान को सीधी राह दिखाने के लिए अपना पैगाम इंसान तक पहुंचाने के लिए उनमे से ही खास बंदों को चुना जो लोगो को एक ईश्वर की इबादत के लिए बुलाने लोगो को समझाने लगे। समय समय पर उस वक़्तों के धर्मो में अल्लाह ने उस समय के हिसाब से अपने पैगम्बर(मेसेंजर) उन्ही में से अच्छे लोगो को चुना जो अल्लाब का पैगाम फैलाने लगे। इसी क्रम में अंतिम पैगम्बर के आने से पहले ईसा मसीह/ईसाअलैहिस्सलाम इस दुनिया मे एक खुदा का संदेश लाए लेकिन उनके जाने के बाद शैतान ने इंसान को भड़काया ओर अब इंसान उन्हें खुदा का बेटा मानने लगा और उन्ही की मूर्ति बना कर उन की पूजा करने लगा। जबकि ईश्वर ने अपनी सभी धार्मिक संदेश की पुस्तकों में साफ साफ कहा है को निराकार है उसका कोई पत्नी या पुत्र या कोई माता पिता नही है। वो ही इस समस्त दुनिया का रचने वाला है। फिर भी इंसान एक ईश्वर की पूजा छोड़ कर हर चीज़ की पूजा करने लगा। तब जैसा कि अल्लाह ने कहा कि पैगम्बर मोहम्माद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम आखरी पैग़म्बर होंगे और उनके बाद कोई नबी जन्म नही लगा तब मुल्क अरब में पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वस्सलाम कुरैश खानदान में पैदा हुए। उस समय क़ुरैश जाति अरब जाति की धर्म नेता और काबा की प्रबंधक जाति थी।
उस समय अरब शिक्षाविहीन ओर मूर्ति पूजा में लिप्त थे। ईसके अतिरिक्त अन्य जातियों का हाल भी उनसे बुरा था। छोटी छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा हो जाता जो कई कई पीढ़ियों तक चलता था, लूट मार, चोरी डकैती उनका पेशा था।
जब पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम अपनी माँ के पेट मे ही थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। आपके दादा मक्का के सरदार थे उन्होंने ही आप को पाला। बचपन से ही आप बहुत समझदार ओर ईमानदार थे। 6 साल की उम्र में आप की माता का भी देहांत हो गया। आप दूसरे बच्चों की तरह लड़ते झगड़ते नही थे ना ही आप ने देवी देवताओं के आगे सर झुकाया। आप व्यापार भी बहुत ईमानदारी से करते थे जिस से प्रभावित होकर 40 साल की विधवा महिला बीबी खतीजा जिन का माल आप व्यापार के लिए ले जाते थे आप से निकाह का प्रस्ताव रखा जिसे आप ने कबूल किया और इस तरह 25 साल की उम्र में आप का निकाह हुआ।
पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम अपनी जाति में फैली बुराइयों से क्षुब्ध थे और चिंतन करते थे कि लोग इन पत्थरों की पूजा क्यों करते हैं जो खुद अपनी रक्षा नही कर सकते। ये इनको क्या नफा नुकसान पहुंचाएंगे। उनका मानना था कि जिसने भी इस संसार की रचना की होगी वो ही इबादत के योग्य होगा। इस चिंतन के लिए आप अक्सर अकेले पहाड़ो पर गुफाओ में बैठ कर चिन्तन करते और ईश्वर का ध्यान करते। शहर के नज़दीक "हिरा" नाम की एक पहाड़ी पर एक गुफा थी जहाँ आप बैठकर चिंतन किया करते थे। एक रात अल्लाह की तरफ से जिबराईल नाम के फरिश्ते ने अल्लाह का संदेश पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम को बताया की अल्लाह ने आप को अपना पैगम्बर बनाया है और अब आप लोगो को सीधी राह दिखाइए। सबसे पहले आप ने अपनी पत्नी हज़रत खतीजा, चचेरे भाई हज़रत अली, अपने परम मित्र हज़रात अबु बक्र (रज़ि) ओर अपने दास हज़रत ज़ैद को इस्लाम का संदेश दिया। जिसे उन सबने कबूल किया। फिर एक एक करके लोग इस्लाम कबूल करने लगे।
लेकिन संघर्ष की शुरुआत भी यही से होती है। जब लोग इस्लाम कबूल करने लगे तो मूर्ति पूजा करने वालो को फिक्र हुई के ये कौन आ गया जो हमारे पूर्वजो को हटा कर नया ईश्वर ले आया। तो उन्होंने ये तरीका अपनाया के जो इस्लाम कबूल करता उन्हें मारना पीटना, उन पर जुल्म करना शुरू कर दिया। उन्हें अरब की गर्म रेत पर लिटा कर पत्थर रख दिये जाते, जलते हुए कोयले से सुलगाया जाता, चाबुक से इतना मारते के खाल उतर जाती लेकिन जिस ने कलमा पड़ लिया वो ये ही कहता कि अल्लाह एक है  अल्लाह एक है। ज़ुल्म बढ़ने लगा जो इस्लाम कबूल करता उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता।
मक्का वालो से मायूस होकर नबी तायफ़ की तरफ चले। तायफ़ मक्का के बाद अरब का बड़ा नगर था उन्होंने वहां के सरदार को इस्लाम की दावत दी लेकिन उन्होंने तो नबी के साथ ओर बुरा बर्ताव किया ना तो उन्होंने इस्लाम की दावत कबूल करी बल्कि शहर के तमाम गुंडो बदमाशो को नबी के पीछे लगा दिया। वो सब आप पर पत्थर मारते ओर आप का मज़ाक बनाते आप को गालियां बकते यहां तक के आप लहू लुहान हो गए। तब अल्लाह ने अपने फरिश्ते के ज़रिए पैगाम पहुंचाया के ए नबी अगर आप कहो तो इस शहर को पहाड़ो के बीच कुचल दिया जाए। लेकिन फिर भी पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने उन्हें माफ कर दिया और उन्होंने कहा में अल्लाह से इन लोगो को सीधी राह पर लाने की दुआ करूंगा अगर ये ईमान नही लाये तो हो सकता है इन की औलादो में से कोई ईमान वाला हो जाये।
तायफ़ के सफर के बाद नबी ने मदीने के तरफ जाने के बारे में सोंचा। मक्का में नबी को राहत मिली और वहां के लोगो ने आप से संधि कर ली वहाँ के ईमान लाये लोग ओर आप सब साथ रहने लगे।
लेकिन ये सब इतना आसान नही था। बहुत लंबा संघर्ष किया गया, बड़ी बड़ी कुर्बानियां दी गई। किस लिए ? बस इसलिए कि सारी दुनिया मे लोग एक ईश्वर की पूजा करने लगें। शैतान ने जब कसम खाई के वो इंसान को एक अल्लाह की इबादत नही करने देगा तो इस ओर अमल करने के लिए उसने सारे छल कपट का इस्तेमाल किया। हज़ारो लोगो को अपनी जान क़ुर्बान करनी पड़ी पर एक अल्लाह के लिए लोग खुशी खुशी क़ुर्बान हो गए। पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने सारी दुनिया को एक ईश्वर की इबादत का संदेश दिया और एक ऐसी ज़िन्दगी जी कर दिखाई जैसी ज़िन्दगी ईश्वर हर इंसान को गुज़रने को कहता है। और उसके बदले में उसने इस दुनिया मे ओर इसके बाद भी हर तरह के इनाम से नवाज़ने का वादा किया।
पैग़म्बर मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम ने जो रास्ता चुना वो सच्चा ओर सीधा है। उन्होंने सभी इंसानो से एक साथ मिलकर रहने जा संदेश दिया उन्होंने कहा सब अल्लाह के बंदे हैं और सब मिट्टी से बने हैं। इसलिये किसी को किसी दूसरे पर सिवाय उसके अच्छे आमाल के सिवा कोई बड़ाई नही है, ना काले इंसान को गोरे पर ना गोरे को काले पर प्रधानता है। उन्होंने कह दिया सभी जातियां एक बराबर है। अल्लाह के निकट वो सबसे अच्छा है जो अल्लाह से डरने वाला हो और अच्छे काम करने वाला हो।
अल्लाह ने 40 वें वर्ष में उन्हें अपना नबी बनाने के साथ ही समय समय पर क़ुरान की आयतों के तौर पर अपना संदेश सारी दुनियां के सामने रखा। क़ुरान के रूप में इंसानो को ज़िन्दगी गुज़ारने का तरीका बताया गया। अच्छे लोगो के लिए जन्नत है और बुरे कर्म करने वालो के लिए नर्क है। पैग़म्बर मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम ने सारी दुनिया को जो रास्ता दिखाया उस पर चल कर दुनिया और जहान की सभी कामयाबी पाई जा सकती है।

Friday, August 10, 2018


AAZAN अज़ान
अज़ान क्यो ओर केसै दी जाती है

शहर मदीना में जब मस्जिद तामीर की गई तो लोगों को नमाज के लि‍ए कि‍स तरह इत्‍तेला दी जाए या बुलाया जाए इस बात पर राय मश्‍वि‍रा कि‍या गया जि‍समें सबने अलग अलग राय पेश की लेकि‍न पैगम्‍बर हजरत मोहम्‍मद सल्‍ललाहो अलैह वसलम ने यहूद व नसारा की तरह होने की वजह से रदद कर दी उस रात अंसार के दो शख्‍सों हजरत अब्‍दुल्‍लाह बि‍न जैद ओर हजरत उमर बि‍न खात्‍ताब को रात में अल्‍लाह ने फरि‍श्‍तों के जरि‍ए ख्‍वाब में अजान का तरीका सि‍खाया इनमें से हजरत अब्‍दुल्‍लाह बि‍न जैद ने ये तरीका रात को ही नबी ए करीम पैगम्‍बर हजरत मोहम्‍मद सल्‍ललाहो अलैह वसलम को बताया जि‍स पर आप ने हजरत बि‍लाह रजि‍अल्‍लाह तआला अनहू को उस तरीके से अजान देने का हुक्‍म दि‍या 

कि‍तनी बार
अरबी में इस तरह पढा जाता है
Hindi
4 बार
अल्‍लाहु अकबर
ईश्‍वर सबसे बडा है
2 बार
अशहदू अल्‍लाह इलाहा इल्‍ललाह
में गवाही देता हूं ईश्‍वर के सि‍वा कोई इबादत के लायक नहीं
2 बार
अशहदू अन्‍ना मोहम्‍मद उर रसूलल्‍लाह
में गवाही देता हूं पैगम्‍बर मोहम्‍मद सल्‍लल्‍लाहु अलैह वसल्‍लम ईश्‍वर के मैसेंजर हैं
2 बार
हयया अलस सलाह
आओ नमाज़ की तरफ
2 बार
हयया अलल फलाह
आओ कामयाबी की तरफ
2 बार
अल्‍लाहु अकबर
ईश्‍वर सबसे बडा है
1 बार
ला इलाहा इल्‍ललाह
ईश्‍वर के सि‍वा कोई पूजा के लायक नहीं



Wednesday, August 8, 2018

ईद उल अज़हा



ईद उल अज़हा पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम कि सुन्नत है इस्लामिक माह ज़ुल्हिज़ कि 10 तरीख को ईद उल अज़हा मनाई जाती है अल्लाह ने जब अपने पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम का इम्तेहान लेना चाहा तो उन्हे ख्वाब के ज़रिये हुकम दिया गया की आप बेटे को अल्लाह के लिए क़ुर्बान करे
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पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम ने अपने बेटे इस्माईल अलैहेसलाम को इस बारे मे बताया तो उन्होने कहा कि यही अल्लाह पाक का हुकम है तो वो राज़ी है
तब पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम अपने बेटे को लेकर अराफत पहाडी पर गए जहा उन्हे क़ुर्बानी करनी थी
जब वो क़ुर्बानी करने ही वाले थे तभी उन्हे एक आवाज़ आई की आप कि क़ुर्बानी क़बूल कर ली गई है ओर उनके बेटे कि जगह एक भेड क़ुर्बानी के लिए दी गई
पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम ओर् इस्माईल अलैहेसलाम अल्‍लाह तआला के कडे इम्तहान मे खरे उतरे थे फिर इब्राहीम अलैहेसलाम ने भेड कि क़ुर्बानी दी ओर जश्न मनाया
वो हमेशा लोगो को अल्लाह कि इबादत के लिये बुलाते रहते उस वक़्त इबादत के लिए कोई जगह तय नही थी लिहाज़ा अल्लाह के हुक्म से काबा की तामीर शुरू कि गई
तब से अल्लाह ने इब्राहीम अलैहेसलाम कि इस इबादत को हमेशा हमेश के लिये क़ायम कर दिया तब से हज ओर क़ुर्बानी कि इबादात ईद उल अज़हा के तोर पर मनाई जाती है


हदीस पाक हज़रत अबू हुरैरा से रिवायत है कि पैग़म्बर मोहम्मद ﷺ ने फरमाया "कौन है जो मुझसे ये बातें सीखे, फिर उन पर अमल करें या उन लोगो...