अस्सलामु अलैकुम
दोस्तो क्या आप ने सूरः अलक़ पड़ी है। ज़रूर पड़ी होगी ये वो आयात है जो क़ुरआन पाक के नजूल की पहली आयात है। जिसमें अल्लाह पाक ने इंसानो को इल्म का तोहफा दिया। पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम जब हक़ीक़ी ख़ुदा की तलाश में गुफाओं में इबादत में मशगूल थे तब अल्लाह ने एक फरिश्ते के ज़रिए ये आयात उतारी। जिसने नबी से कहा (1)"इक़रा" ए नबी पड़ो उस रब के नाम से जिसने पैदा किया, (2) जिस ने इंसान को खून के लोथड़े से पैदा किया, (3) तो पड़ता रह तेरा रब बड़ा करम वाला है, (4) जिस ने कलम के ज़रिए इल्म सिखाया और इस तरह इस आयत में 19 सूरः में इसे मुकम्मिल किया गया।
दोस्तो कितनी अच्छी बात है कि हमारे रब ने इस आयत के ज़रिए इंसानो को इल्म सिखाया ओर बताया कि अल्लाह ने क़लम के ज़रिए इल्म सिखाया।
इससे हम ईमान वालो को इल्म का तोहफा हासिल हुआ। एक बात ये भी समझ मे आई कि इल्म की अहमियत अल्लाह के नज़दीक बहुत है वो ऐसे की अल्लाह ने अपने नबी से कहा पड़ो मतलब पड़ कर सीखो ऐसा नही की दोहराओ या जैसा फरिश्ते ने कहा वेसे कहो बल्कि कहा गया कि पड़ो। इस तरह देखा जाए तो पड़ना लिखना हर मुसलमान के लिए ज़रूरी हुआ। क़ुरआन के ज़रिए अल्लाह ने अपने बंदों को इल्म सिखाया। इस आयत में अल्लाह ने इन्सानो को बताया कि उन्हें खून के लोथड़े से बनाया गया है ये बात आज हज़ारो साल बाद साइंस साबित करती है कि खून के लोथड़े से माँ के पेट में इंसान की पैदाइश की शुरुआत होती है।
इस आयत में अल्लाह ने जहां पहली आयात में ये कहा कि "अल्लाह ने इंसान को पैदा किया" से दीन सीखने की तालीम दी वही दूसरी आयात में अल्लाह ने बताया कि उसने इंसानो को खून के लोथड़े से पैदा किया इस तरह दुनियावी तालीम भी दी। अल्लाह के इस कलाम से बहुत आसानी से एक समझदार इंसान अंदाज़ा लगा सकता है कि एक मुसलमान के लिए तालीम की कितनी अहमियत है।
पर बड़े अफसोस कि बात है आज का मुसलमान तालीम से बहुत दूर होता जा रहा है ना दीन कि तालीम है ना दुनिया की, जबकि तालीम की अहमियत अल्लाह ने अपने बंदों को खूब अच्छी तरह से समझाई थी। कितना अच्छा होता कि सारी दुनिया मे हर मुसलमान चाहे वो गरीब हो या अमीर, काला हो या गोरा हर इक मुसलमान तालीम याफ्ता होता। पर हालात इसके उलट हैं जो दीन सीखता है वो दुनियावी तालीम की बुराई करता है और जो दुनियावी तालीम सीखता है वो दीन की तालीम को कम समझता है। जबकि अल्लाह ने अपने पैगाम में दोनों की अहमियत खूब से समझाई है।
हर मुसलमान को जैसे दीन सीखना चाहिए वेसे ही दुनियावी तालीम का भी इल्म होना चाहिए।
अल्लाह पाक हम सबको कहने सुनने के साथ साथ अमल की भी तौफीक अता फरमाये। आमीन।
good artical
ReplyDeletethanks for good information
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