ईद उल अज़हा
ईद उल अज़हा पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम कि सुन्नत है
इस्लामिक माह ज़ुल्हिज़ कि 10 तरीख को ईद उल अज़हा मनाई जाती है अल्लाह ने जब अपने
पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम का इम्तेहान लेना चाहा तो उन्हे ख्वाब के ज़रिये हुकम
दिया गया की आप बेटे को अल्लाह के लिए क़ुर्बान करे
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पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम ने अपने बेटे इस्माईल
अलैहेसलाम को इस बारे मे बताया तो उन्होने कहा कि यही अल्लाह पाक का हुकम है तो वो
राज़ी है
तब पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम अपने बेटे को लेकर
अराफत पहाडी पर गए जहा उन्हे क़ुर्बानी करनी थी
जब वो क़ुर्बानी करने ही वाले थे तभी उन्हे एक आवाज़ आई
की आप कि क़ुर्बानी क़बूल कर ली गई है ओर उनके बेटे कि जगह एक भेड क़ुर्बानी के लिए
दी गई
पैगम्बर इब्राहीम अलैहेसलाम ओर् इस्माईल अलैहेसलाम अल्लाह तआला के कडे इम्तहान मे खरे उतरे थे फिर इब्राहीम
अलैहेसलाम ने भेड कि क़ुर्बानी दी ओर जश्न मनाया
वो हमेशा लोगो को अल्लाह कि इबादत के लिये बुलाते
रहते उस वक़्त इबादत के लिए कोई जगह तय नही थी लिहाज़ा अल्लाह के हुक्म से काबा की
तामीर शुरू कि गई
तब से अल्लाह ने इब्राहीम अलैहेसलाम कि इस इबादत को
हमेशा हमेश के लिये क़ायम कर दिया तब से हज ओर क़ुर्बानी कि इबादात ईद उल अज़हा के
तोर पर मनाई जाती है
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