Wednesday, September 26, 2018

नज़र, जादू का बेजोड़ इलाज
पूरा वाकया ध्यान से पढ़े

एक साहब ओर उन की बीवी पर किसी जादूगर ने इन्तेहाई सख्त जादू का वार किया ! इस जादू पर वह बाकायदा वह पहरा भी दिया करता था की किसी आलिम को उस का तोड़ न करने देता. वह साहब फरमाते है की उन की बीवी हमल ही नहीं ठहरता और अगर ठहर भी जाए तो ख़राब हो जाता अगर किसी तरीके से 9 माह पूरे होते तो बच्चे की पैदाइश मुर्दा हालत में होती. वेसे तो ये साहब पांच वक्ता नमाज़ी और कुरान पड़ने वाले थे और मदरसे में बच्चो को कुरान की तालीम देते थे. बहुत इलाज करवाया बड़े से बड़े आलिम से इलाज करवाया एडी चोटी का जोर लगा दिया मगर कोई फायदा नहीं हुआ.
फिर एक दिन नेक और बाअमल आलिम के पास जाना हुआ. ये साहब इस्तेखारा करने के लिए मशहूर थे. ये साहब उन की खिदमत में हाज़िर हुए. मोलवी साहब ने बताया की ये किसी आम जादूगर का वार नहीं था बल्कि ये तो जादू की दुनिया का इन्तेहाई गलत और माहिर जादूगर है और ये मेरे बस का नहीं है. फिर उन साहब ने मोलवी साहब से पूछा की इस का क्या हल है मोलवी साहब ने बताया की इस का तोड़ तो उस जादूगर जैसे या फिर वो ही कर सकता है. तब उन्होंने बताया की सिंध में फलां शहर में फलां गाव में वो जादूगर खबीस उल एन रहता है तुम उस से मिलो.
ये जनाब फ़ौरन सिंध रवाना हो गए ओर जैसे ही उस गाँव के बाहर पहुंचे दूर से ही एक आग का दहकता हुआ अलाव जलता दिखाई दिया। उन्होंने उसकी तरफ बढ़ना शुरु किया। दूर से देखते हैं कि एक आदमी आग के पास बैठा हुआ है ओर आसपास उससे मिलने वालों का जमघट लगा हुआ है। अभी उसके नज़दीक भी नही आये थे कि अचानक वो शख्स उछल कर खड़ा हो गया और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा कि वो देखो आ गया जादू का डसा, वो आ गया क़ुरआन पड़ने वाला। ये साहब उसके पास पहुंचे और अपना मसला पेश किया। अब वो खबीस उल एन जादूगर खुशी से उछल पड़ा और नाचने लगा ओर कहने लगा ,"जाओ फलां के पास, जाओ फलां के पास, ये गिरह जो लगी है खुलवाओ अपने मौलवियो से"। गरज़ ये उस जादूगर ने उन साहब के साथ साथ सभी मोलवियों को भी बुरा भला कहा और जादू तोड़ने से इन्कार कर दिया। 
ये साहब वापस आये और अपने रब को पुकारा ऐ अल्लाह ये भी मख़लूक़ है तू चाहे तो क्या नही कर सकता , ये ज़ालिम मुझ पर ग़ालिब आ गए हैं और ज़ुल्म करने से बाज़ नही आ रहे हैं। उन्होंने रो धोकर अल्लाह के हज़ूर माफ़िया मांगी और तब अल्लाह पाक उनके दिल मे ख्याल डाला कि जादू का तोड़ तो अल्लाह पाक ने क़ुरआन पाक में ही बता रखा है जब नबी ए पाक पैगम्बर मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम पर जादू किया गया था तो अल्लाह पाक ने "सूरह फलक" ओर "सूरह नास" के ज़रिये उस जादू को खत्म किया था तो क्यों ना में भी इन आयतों से ही इस को खत्म करूं। 
अब इन्होंने अल्लाह का नाम लिया और उसी रात से बावज़ू होकर मस्जिद में जाकर इन आयात को पढ़ना शुरू कर दिया। ये पूरी रात पढ़ते रहे और वक़्त निकाल कर दिन में भी पढ़ते रहते। हर वक्त बावज़ू रहने लगे। गालिबन छ्टे दिन रात को ऊंघ लगी और अचानक खून की पूरी बाल्टी जैसे किसी ने उन पर गिरा दी हो ये बहुत हैरान हुए फिर जैसे तैसे उठे और अपने आप को पाक साफ किया ओर फिर घर पहुंचे वहां जाकर पता चला कि ये वाकया उनकी बीवी के साथ भी पेश आया था और वो भी बहुत घबराई हुई थी। उन्होंने बीवी को दिलासा दिया कि घबराओ नही कुछ ना कुछ तो हो ही रहा है इंशाअल्लाह अल्लाह सब बेहतर करेगा और फिर हिम्मत जुटाकर अमल में जुट गए। नवें दिन ये वाकया फिर पेश आया कि उन पर खून की बाल्टी गिरा दी गई। फिर भी हिम्मत ना तोड़ी ओर पढ़ना जारी रखा। 
तेरहवें दिन सुबह के वक़्त वही सिंध वाला जादूगर ख़बीस उल एन मस्जिद में दाखिल हुआ और आते ही पैरों में गिर कर माफियां मांगने लगा। उन साहब ने जादूगर से कहा कि तू मुझ से क्यों माफियां मांग रहा है, कहने लगा अल्लाह के वास्ते मुझे माफ़ कर दीजिए फिर बताऊंगा। इन्होंने माफकर दिया फिर वजह पूछी। कहने लगा कि आप पर ओर आप की बीवी पर जादू में ने किया था जब आप मस्जिद में अमल करने बैठे तो में भी आप के मुकाबले पर बैठ गया ओर रोज़ाना मेरा किया हुआ जादू मुझ पर उल्टा पड़ने लगा और मेरे मुवक्किल मेरे दुश्मन हो गए। ये साहब फरमाने लगे कि अगर ये बात तू ने मुझे पहले बता दी होती तो में तुझे माफ नही करता। बहरहाल जादूगर माफी मांग कर अपनी जान बचाकर वापस सिंध लौट गया क्योंकि अगर वो उसको माफ नही करते तो वो अपनी जान से हाथ धो बैठता। उन्होंने अल्लाह का शुक्रिया अदा किया और जादूगर की माफीनामे पर भरोसा ना करते हुए इकतालीस दिन मुकम्मल अमल पूरा किया और उसकी बदौलत अल्लाह ने उन्हें सेहतमंद औलाद अता फरमाई ओर हमेशा के किये जादू ओर बदनज़र से आज़ाद हो गए। 
जादू का क़ुरआनी इलाज :-
क़ुरआन पाक की आखरी दो सूरते सूरः नास ओर सूरः फ़लक़ जादू बदनज़र के इलाज में मगज़ की हैसियत रखती हैं। इन्हें सुबह-शाम 11-11 बार पड़ना चाहिए और पढ़ कर बच्चों पर दम करना चाहिए। 
इन्ही आयात के पढ़ने से हज़ूर ए अकरम सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम को जादू से शिफा मिली। 
जज़ाकुमुल्लाह। 
 
http://alseenalbasheer.blogspot.com/2017/05/surah-al-falak-surah-naas-hindi.html
 


Wednesday, September 5, 2018

अस्सलामु अलैकुम
दोस्तो क्या आप ने सूरः अलक़ पड़ी है। ज़रूर पड़ी होगी ये वो आयात है जो क़ुरआन पाक के नजूल की पहली आयात है। जिसमें अल्लाह पाक ने इंसानो को इल्म का तोहफा दिया। पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम जब हक़ीक़ी ख़ुदा की तलाश में गुफाओं में इबादत में मशगूल थे तब अल्लाह ने एक फरिश्ते के ज़रिए ये आयात उतारी। जिसने नबी से कहा (1)"इक़रा" ए नबी पड़ो उस रब के नाम से जिसने पैदा किया, (2) जिस ने इंसान को खून के लोथड़े से पैदा किया, (3) तो पड़ता रह तेरा रब बड़ा करम वाला है, (4) जिस ने कलम के ज़रिए इल्म सिखाया और इस तरह इस आयत में 19 सूरः में इसे मुकम्मिल किया गया। 
दोस्तो कितनी अच्छी बात है कि हमारे रब ने इस आयत के ज़रिए इंसानो को इल्म सिखाया ओर बताया कि अल्लाह ने क़लम के ज़रिए इल्म सिखाया। 
इससे हम ईमान वालो को इल्म का तोहफा हासिल हुआ। एक बात ये भी समझ मे आई कि इल्म की अहमियत अल्लाह के नज़दीक बहुत है वो ऐसे की अल्लाह ने अपने नबी से कहा पड़ो मतलब पड़ कर सीखो ऐसा नही की दोहराओ या जैसा फरिश्ते ने कहा वेसे कहो बल्कि कहा गया कि पड़ो। इस तरह देखा जाए तो पड़ना लिखना हर मुसलमान के लिए ज़रूरी हुआ। क़ुरआन के ज़रिए अल्लाह ने अपने बंदों को इल्म सिखाया। इस आयत में अल्लाह ने इन्सानो को बताया कि उन्हें खून के लोथड़े से बनाया गया है ये बात आज हज़ारो साल बाद साइंस साबित करती है कि खून के लोथड़े से  माँ के पेट में इंसान की पैदाइश की शुरुआत होती है। 
इस आयत में अल्लाह ने जहां पहली आयात में ये कहा कि "अल्लाह ने इंसान को पैदा किया" से दीन सीखने की तालीम दी वही दूसरी आयात में अल्लाह ने बताया कि उसने इंसानो को खून के लोथड़े से पैदा किया इस तरह दुनियावी तालीम भी दी। अल्लाह के इस कलाम से बहुत आसानी से एक समझदार इंसान अंदाज़ा लगा सकता है कि एक मुसलमान के लिए तालीम की कितनी अहमियत है। 
पर बड़े अफसोस कि बात है आज का मुसलमान तालीम से बहुत दूर होता जा रहा है ना दीन कि तालीम है ना दुनिया की, जबकि तालीम की अहमियत अल्लाह ने अपने बंदों को खूब अच्छी तरह से समझाई थी। कितना अच्छा होता कि सारी दुनिया मे हर मुसलमान चाहे वो गरीब हो या अमीर, काला हो या गोरा हर इक मुसलमान तालीम याफ्ता होता। पर हालात इसके उलट हैं जो दीन सीखता है वो दुनियावी तालीम की बुराई करता है और जो दुनियावी तालीम सीखता है वो दीन की तालीम को कम समझता है। जबकि अल्लाह ने अपने पैगाम में दोनों की अहमियत खूब से समझाई है। 
हर मुसलमान को जैसे दीन सीखना चाहिए वेसे ही दुनियावी तालीम का भी इल्म होना चाहिए। 
अल्लाह पाक हम सबको कहने सुनने के साथ साथ अमल की भी तौफीक अता फरमाये। आमीन। 

हदीस पाक हज़रत अबू हुरैरा से रिवायत है कि पैग़म्बर मोहम्मद ﷺ ने फरमाया "कौन है जो मुझसे ये बातें सीखे, फिर उन पर अमल करें या उन लोगो...