अल्लाह ने दुनिया बनाने के बाद जब इंसान को इसमें बसाया तब पहले इंसान आदम अलैहिस्सलाम ओर माँ हव्वा अल्लाह की ही इबादत किया करते थे लेकिन इसके साथ ही ख़ुदा से बगावत कर दुनिया में आए फरिश्ते इब्लीस/शैतान ने इंसानों को एक खुदा की इबादत करने से रोकने के लिए अपनी कोशिशें शुरू कर दी! आदम अलैहिस्सलाम ओर माँ हव्वा के गुज़र जाने के बाद शैतान ने इंसान को भड़काना शुरू किया ये देखो ये सूरज है जो सबसे बड़ा है ये तुम्हे जला सकता है, ये देखो ये नदी है ये तुम्हें डुबो देगी अगर तुम इस कि पूजा नही करोगे तो, ये शेर है, ये पेड़ हैं, ये पर्वत है, ये जानवर है यहां तक कि हर वो चीज़ जो इंसान से ज़्यादा ताकत रखती हो उससे डराया के अगर तुम इस कि पूजा नही करोगे तो ये तुम्हे नष्ट कर देगा! ये पानी का देवता है, ये दौलत का देवता है, ये सुख समृद्धि का देवता है और तुम्हें इन चीज़ों को पाने के लिए इनकी पूजा करनी होगी तो ही ये आप की मदद करेंगे। और तो ओर ईश्वर भी इनमें ही निवास करता है अगर ईश्वर को पाना है तो इन की पूजा करो। इस तरह उस का मकसद ये था कि इंसान हर वस्तू को ईश्वर माने पर ईश्वर को ईश्वर ना माने। ओर इस तरह इंसान को भड़काने में शैतान कामयाब रहा। लोग पत्थर, पेड़, सूरज, चाँद तरह तरह की चीज़ों की पूजा करने लगे।
तब अल्लाह ने इंसान को सीधी राह दिखाने के लिए अपना पैगाम इंसान तक पहुंचाने के लिए उनमे से ही खास बंदों को चुना जो लोगो को एक ईश्वर की इबादत के लिए बुलाने लोगो को समझाने लगे। समय समय पर उस वक़्तों के धर्मो में अल्लाह ने उस समय के हिसाब से अपने पैगम्बर(मेसेंजर) उन्ही में से अच्छे लोगो को चुना जो अल्लाब का पैगाम फैलाने लगे। इसी क्रम में अंतिम पैगम्बर के आने से पहले ईसा मसीह/ईसाअलैहिस्सलाम इस दुनिया मे एक खुदा का संदेश लाए लेकिन उनके जाने के बाद शैतान ने इंसान को भड़काया ओर अब इंसान उन्हें खुदा का बेटा मानने लगा और उन्ही की मूर्ति बना कर उन की पूजा करने लगा। जबकि ईश्वर ने अपनी सभी धार्मिक संदेश की पुस्तकों में साफ साफ कहा है को निराकार है उसका कोई पत्नी या पुत्र या कोई माता पिता नही है। वो ही इस समस्त दुनिया का रचने वाला है। फिर भी इंसान एक ईश्वर की पूजा छोड़ कर हर चीज़ की पूजा करने लगा। तब जैसा कि अल्लाह ने कहा कि पैगम्बर मोहम्माद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम आखरी पैग़म्बर होंगे और उनके बाद कोई नबी जन्म नही लगा तब मुल्क अरब में पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वस्सलाम कुरैश खानदान में पैदा हुए। उस समय क़ुरैश जाति अरब जाति की धर्म नेता और काबा की प्रबंधक जाति थी।
उस समय अरब शिक्षाविहीन ओर मूर्ति पूजा में लिप्त थे। ईसके अतिरिक्त अन्य जातियों का हाल भी उनसे बुरा था। छोटी छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा हो जाता जो कई कई पीढ़ियों तक चलता था, लूट मार, चोरी डकैती उनका पेशा था।
जब पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम अपनी माँ के पेट मे ही थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। आपके दादा मक्का के सरदार थे उन्होंने ही आप को पाला। बचपन से ही आप बहुत समझदार ओर ईमानदार थे। 6 साल की उम्र में आप की माता का भी देहांत हो गया। आप दूसरे बच्चों की तरह लड़ते झगड़ते नही थे ना ही आप ने देवी देवताओं के आगे सर झुकाया। आप व्यापार भी बहुत ईमानदारी से करते थे जिस से प्रभावित होकर 40 साल की विधवा महिला बीबी खतीजा जिन का माल आप व्यापार के लिए ले जाते थे आप से निकाह का प्रस्ताव रखा जिसे आप ने कबूल किया और इस तरह 25 साल की उम्र में आप का निकाह हुआ।
पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम अपनी जाति में फैली बुराइयों से क्षुब्ध थे और चिंतन करते थे कि लोग इन पत्थरों की पूजा क्यों करते हैं जो खुद अपनी रक्षा नही कर सकते। ये इनको क्या नफा नुकसान पहुंचाएंगे। उनका मानना था कि जिसने भी इस संसार की रचना की होगी वो ही इबादत के योग्य होगा। इस चिंतन के लिए आप अक्सर अकेले पहाड़ो पर गुफाओ में बैठ कर चिन्तन करते और ईश्वर का ध्यान करते। शहर के नज़दीक "हिरा" नाम की एक पहाड़ी पर एक गुफा थी जहाँ आप बैठकर चिंतन किया करते थे। एक रात अल्लाह की तरफ से जिबराईल नाम के फरिश्ते ने अल्लाह का संदेश पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम को बताया की अल्लाह ने आप को अपना पैगम्बर बनाया है और अब आप लोगो को सीधी राह दिखाइए। सबसे पहले आप ने अपनी पत्नी हज़रत खतीजा, चचेरे भाई हज़रत अली, अपने परम मित्र हज़रात अबु बक्र (रज़ि) ओर अपने दास हज़रत ज़ैद को इस्लाम का संदेश दिया। जिसे उन सबने कबूल किया। फिर एक एक करके लोग इस्लाम कबूल करने लगे।
लेकिन संघर्ष की शुरुआत भी यही से होती है। जब लोग इस्लाम कबूल करने लगे तो मूर्ति पूजा करने वालो को फिक्र हुई के ये कौन आ गया जो हमारे पूर्वजो को हटा कर नया ईश्वर ले आया। तो उन्होंने ये तरीका अपनाया के जो इस्लाम कबूल करता उन्हें मारना पीटना, उन पर जुल्म करना शुरू कर दिया। उन्हें अरब की गर्म रेत पर लिटा कर पत्थर रख दिये जाते, जलते हुए कोयले से सुलगाया जाता, चाबुक से इतना मारते के खाल उतर जाती लेकिन जिस ने कलमा पड़ लिया वो ये ही कहता कि अल्लाह एक है अल्लाह एक है। ज़ुल्म बढ़ने लगा जो इस्लाम कबूल करता उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता।
मक्का वालो से मायूस होकर नबी तायफ़ की तरफ चले। तायफ़ मक्का के बाद अरब का बड़ा नगर था उन्होंने वहां के सरदार को इस्लाम की दावत दी लेकिन उन्होंने तो नबी के साथ ओर बुरा बर्ताव किया ना तो उन्होंने इस्लाम की दावत कबूल करी बल्कि शहर के तमाम गुंडो बदमाशो को नबी के पीछे लगा दिया। वो सब आप पर पत्थर मारते ओर आप का मज़ाक बनाते आप को गालियां बकते यहां तक के आप लहू लुहान हो गए। तब अल्लाह ने अपने फरिश्ते के ज़रिए पैगाम पहुंचाया के ए नबी अगर आप कहो तो इस शहर को पहाड़ो के बीच कुचल दिया जाए। लेकिन फिर भी पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने उन्हें माफ कर दिया और उन्होंने कहा में अल्लाह से इन लोगो को सीधी राह पर लाने की दुआ करूंगा अगर ये ईमान नही लाये तो हो सकता है इन की औलादो में से कोई ईमान वाला हो जाये।
तायफ़ के सफर के बाद नबी ने मदीने के तरफ जाने के बारे में सोंचा। मक्का में नबी को राहत मिली और वहां के लोगो ने आप से संधि कर ली वहाँ के ईमान लाये लोग ओर आप सब साथ रहने लगे।
लेकिन ये सब इतना आसान नही था। बहुत लंबा संघर्ष किया गया, बड़ी बड़ी कुर्बानियां दी गई। किस लिए ? बस इसलिए कि सारी दुनिया मे लोग एक ईश्वर की पूजा करने लगें। शैतान ने जब कसम खाई के वो इंसान को एक अल्लाह की इबादत नही करने देगा तो इस ओर अमल करने के लिए उसने सारे छल कपट का इस्तेमाल किया। हज़ारो लोगो को अपनी जान क़ुर्बान करनी पड़ी पर एक अल्लाह के लिए लोग खुशी खुशी क़ुर्बान हो गए। पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने सारी दुनिया को एक ईश्वर की इबादत का संदेश दिया और एक ऐसी ज़िन्दगी जी कर दिखाई जैसी ज़िन्दगी ईश्वर हर इंसान को गुज़रने को कहता है। और उसके बदले में उसने इस दुनिया मे ओर इसके बाद भी हर तरह के इनाम से नवाज़ने का वादा किया।
पैग़म्बर मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम ने जो रास्ता चुना वो सच्चा ओर सीधा है। उन्होंने सभी इंसानो से एक साथ मिलकर रहने जा संदेश दिया उन्होंने कहा सब अल्लाह के बंदे हैं और सब मिट्टी से बने हैं। इसलिये किसी को किसी दूसरे पर सिवाय उसके अच्छे आमाल के सिवा कोई बड़ाई नही है, ना काले इंसान को गोरे पर ना गोरे को काले पर प्रधानता है। उन्होंने कह दिया सभी जातियां एक बराबर है। अल्लाह के निकट वो सबसे अच्छा है जो अल्लाह से डरने वाला हो और अच्छे काम करने वाला हो।
अल्लाह ने 40 वें वर्ष में उन्हें अपना नबी बनाने के साथ ही समय समय पर क़ुरान की आयतों के तौर पर अपना संदेश सारी दुनियां के सामने रखा। क़ुरान के रूप में इंसानो को ज़िन्दगी गुज़ारने का तरीका बताया गया। अच्छे लोगो के लिए जन्नत है और बुरे कर्म करने वालो के लिए नर्क है। पैग़म्बर मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम ने सारी दुनिया को जो रास्ता दिखाया उस पर चल कर दुनिया और जहान की सभी कामयाबी पाई जा सकती है।
तब अल्लाह ने इंसान को सीधी राह दिखाने के लिए अपना पैगाम इंसान तक पहुंचाने के लिए उनमे से ही खास बंदों को चुना जो लोगो को एक ईश्वर की इबादत के लिए बुलाने लोगो को समझाने लगे। समय समय पर उस वक़्तों के धर्मो में अल्लाह ने उस समय के हिसाब से अपने पैगम्बर(मेसेंजर) उन्ही में से अच्छे लोगो को चुना जो अल्लाब का पैगाम फैलाने लगे। इसी क्रम में अंतिम पैगम्बर के आने से पहले ईसा मसीह/ईसाअलैहिस्सलाम इस दुनिया मे एक खुदा का संदेश लाए लेकिन उनके जाने के बाद शैतान ने इंसान को भड़काया ओर अब इंसान उन्हें खुदा का बेटा मानने लगा और उन्ही की मूर्ति बना कर उन की पूजा करने लगा। जबकि ईश्वर ने अपनी सभी धार्मिक संदेश की पुस्तकों में साफ साफ कहा है को निराकार है उसका कोई पत्नी या पुत्र या कोई माता पिता नही है। वो ही इस समस्त दुनिया का रचने वाला है। फिर भी इंसान एक ईश्वर की पूजा छोड़ कर हर चीज़ की पूजा करने लगा। तब जैसा कि अल्लाह ने कहा कि पैगम्बर मोहम्माद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम आखरी पैग़म्बर होंगे और उनके बाद कोई नबी जन्म नही लगा तब मुल्क अरब में पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वस्सलाम कुरैश खानदान में पैदा हुए। उस समय क़ुरैश जाति अरब जाति की धर्म नेता और काबा की प्रबंधक जाति थी।
उस समय अरब शिक्षाविहीन ओर मूर्ति पूजा में लिप्त थे। ईसके अतिरिक्त अन्य जातियों का हाल भी उनसे बुरा था। छोटी छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा हो जाता जो कई कई पीढ़ियों तक चलता था, लूट मार, चोरी डकैती उनका पेशा था।
जब पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम अपनी माँ के पेट मे ही थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। आपके दादा मक्का के सरदार थे उन्होंने ही आप को पाला। बचपन से ही आप बहुत समझदार ओर ईमानदार थे। 6 साल की उम्र में आप की माता का भी देहांत हो गया। आप दूसरे बच्चों की तरह लड़ते झगड़ते नही थे ना ही आप ने देवी देवताओं के आगे सर झुकाया। आप व्यापार भी बहुत ईमानदारी से करते थे जिस से प्रभावित होकर 40 साल की विधवा महिला बीबी खतीजा जिन का माल आप व्यापार के लिए ले जाते थे आप से निकाह का प्रस्ताव रखा जिसे आप ने कबूल किया और इस तरह 25 साल की उम्र में आप का निकाह हुआ।
पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम अपनी जाति में फैली बुराइयों से क्षुब्ध थे और चिंतन करते थे कि लोग इन पत्थरों की पूजा क्यों करते हैं जो खुद अपनी रक्षा नही कर सकते। ये इनको क्या नफा नुकसान पहुंचाएंगे। उनका मानना था कि जिसने भी इस संसार की रचना की होगी वो ही इबादत के योग्य होगा। इस चिंतन के लिए आप अक्सर अकेले पहाड़ो पर गुफाओ में बैठ कर चिन्तन करते और ईश्वर का ध्यान करते। शहर के नज़दीक "हिरा" नाम की एक पहाड़ी पर एक गुफा थी जहाँ आप बैठकर चिंतन किया करते थे। एक रात अल्लाह की तरफ से जिबराईल नाम के फरिश्ते ने अल्लाह का संदेश पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह वसल्लम को बताया की अल्लाह ने आप को अपना पैगम्बर बनाया है और अब आप लोगो को सीधी राह दिखाइए। सबसे पहले आप ने अपनी पत्नी हज़रत खतीजा, चचेरे भाई हज़रत अली, अपने परम मित्र हज़रात अबु बक्र (रज़ि) ओर अपने दास हज़रत ज़ैद को इस्लाम का संदेश दिया। जिसे उन सबने कबूल किया। फिर एक एक करके लोग इस्लाम कबूल करने लगे।
लेकिन संघर्ष की शुरुआत भी यही से होती है। जब लोग इस्लाम कबूल करने लगे तो मूर्ति पूजा करने वालो को फिक्र हुई के ये कौन आ गया जो हमारे पूर्वजो को हटा कर नया ईश्वर ले आया। तो उन्होंने ये तरीका अपनाया के जो इस्लाम कबूल करता उन्हें मारना पीटना, उन पर जुल्म करना शुरू कर दिया। उन्हें अरब की गर्म रेत पर लिटा कर पत्थर रख दिये जाते, जलते हुए कोयले से सुलगाया जाता, चाबुक से इतना मारते के खाल उतर जाती लेकिन जिस ने कलमा पड़ लिया वो ये ही कहता कि अल्लाह एक है अल्लाह एक है। ज़ुल्म बढ़ने लगा जो इस्लाम कबूल करता उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता।
मक्का वालो से मायूस होकर नबी तायफ़ की तरफ चले। तायफ़ मक्का के बाद अरब का बड़ा नगर था उन्होंने वहां के सरदार को इस्लाम की दावत दी लेकिन उन्होंने तो नबी के साथ ओर बुरा बर्ताव किया ना तो उन्होंने इस्लाम की दावत कबूल करी बल्कि शहर के तमाम गुंडो बदमाशो को नबी के पीछे लगा दिया। वो सब आप पर पत्थर मारते ओर आप का मज़ाक बनाते आप को गालियां बकते यहां तक के आप लहू लुहान हो गए। तब अल्लाह ने अपने फरिश्ते के ज़रिए पैगाम पहुंचाया के ए नबी अगर आप कहो तो इस शहर को पहाड़ो के बीच कुचल दिया जाए। लेकिन फिर भी पैगम्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने उन्हें माफ कर दिया और उन्होंने कहा में अल्लाह से इन लोगो को सीधी राह पर लाने की दुआ करूंगा अगर ये ईमान नही लाये तो हो सकता है इन की औलादो में से कोई ईमान वाला हो जाये।
तायफ़ के सफर के बाद नबी ने मदीने के तरफ जाने के बारे में सोंचा। मक्का में नबी को राहत मिली और वहां के लोगो ने आप से संधि कर ली वहाँ के ईमान लाये लोग ओर आप सब साथ रहने लगे।
लेकिन ये सब इतना आसान नही था। बहुत लंबा संघर्ष किया गया, बड़ी बड़ी कुर्बानियां दी गई। किस लिए ? बस इसलिए कि सारी दुनिया मे लोग एक ईश्वर की पूजा करने लगें। शैतान ने जब कसम खाई के वो इंसान को एक अल्लाह की इबादत नही करने देगा तो इस ओर अमल करने के लिए उसने सारे छल कपट का इस्तेमाल किया। हज़ारो लोगो को अपनी जान क़ुर्बान करनी पड़ी पर एक अल्लाह के लिए लोग खुशी खुशी क़ुर्बान हो गए। पैग़म्बर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने सारी दुनिया को एक ईश्वर की इबादत का संदेश दिया और एक ऐसी ज़िन्दगी जी कर दिखाई जैसी ज़िन्दगी ईश्वर हर इंसान को गुज़रने को कहता है। और उसके बदले में उसने इस दुनिया मे ओर इसके बाद भी हर तरह के इनाम से नवाज़ने का वादा किया।
पैग़म्बर मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम ने जो रास्ता चुना वो सच्चा ओर सीधा है। उन्होंने सभी इंसानो से एक साथ मिलकर रहने जा संदेश दिया उन्होंने कहा सब अल्लाह के बंदे हैं और सब मिट्टी से बने हैं। इसलिये किसी को किसी दूसरे पर सिवाय उसके अच्छे आमाल के सिवा कोई बड़ाई नही है, ना काले इंसान को गोरे पर ना गोरे को काले पर प्रधानता है। उन्होंने कह दिया सभी जातियां एक बराबर है। अल्लाह के निकट वो सबसे अच्छा है जो अल्लाह से डरने वाला हो और अच्छे काम करने वाला हो।
अल्लाह ने 40 वें वर्ष में उन्हें अपना नबी बनाने के साथ ही समय समय पर क़ुरान की आयतों के तौर पर अपना संदेश सारी दुनियां के सामने रखा। क़ुरान के रूप में इंसानो को ज़िन्दगी गुज़ारने का तरीका बताया गया। अच्छे लोगो के लिए जन्नत है और बुरे कर्म करने वालो के लिए नर्क है। पैग़म्बर मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम ने सारी दुनिया को जो रास्ता दिखाया उस पर चल कर दुनिया और जहान की सभी कामयाबी पाई जा सकती है।